मालिक के लिए जान की बाजी लगा देने वाले सेवक या नौकरों के किस्से अब पुराने हो गए हैं। निष्ठा और वफादारी की परिभाषा भी बदल चुकी है। मालिक कितना दौलतमंद है, उसके घर में कितने सदस्य हैं। किन कमजोर बिंदुओं से फायदा उठाया जा सकता हैं। वारदात करने का कौन सा समय उपयुक्त रहेगा। नौकरों के दिमाग में ये बातें उथल-पुथल मचाती रहती हैं। वारदातों की जांच में निकले तथ्यों के आधार पर यह कहा जा सकता है। उद्योगपतियों और बड़े अधिकारियों के घरों में नौकरों द्वारा वारदात करने की आशंका से इन्कार नहीं किया जा सकता। देश की राजधानी में ऐसी कई वारदात हो चुकी हैं और बाकी देश भी इनसे अछूता नहीं है। नौकर रखने के प्रति जनता को सतर्कता बरतने की अपील करने वाली पुलिस का एक अधिकारी का परिवार स्वयं चूक कर बैठा। रेवाड़ी में तैनात एसपी यमुनानगर के आवास में नियुक्त नौकर उनकी पत्नी और बेटे को बेहोश करके कीमती सामान चुराकर ले गया।
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