मैनपुरी का एक जिंदादिल समाज"चतुर्वेदी समाज"


मैनपुरी। इब्तदा यहीं से करते है..... मैनपुरी का चतुर्वेदी समाज वाकई मैं एक जिंदादिल समाज है.अपनी संस्कृति के प्रति इस समाज मैं गजब का उत्साह है.मैनपुरी के अदबी विकास मैं इस समाज का बड़ा ही योगदान रहा है,इसकी मिसाल हैं शहर के बीचों बीच बना चतुर्वेदी माथुर पुस्तकालय ये पुस्तकालय आस पास के जिलों मैं ये सबसे पुराना पुस्तकालय है.इस पुस्तकालय मैं हर विषय की लगभग एक हज़ार से भी जियादा किताबे मोजूद होंगी.इस पुस्तकालय की सबसे बड़ी खूबी यहाँ रखे वेद हैं जो बेहद पुराने है.समाज मैं इन वेदों को लेकर जबरदस्त आस्था है.यही वजह है की जब एक बार चोर इन वेदों को चुरा ले गए तो पुरा समाज भूख हडताल पर बेठ गया था.चतुर्वेदी समाज मैनपुरी का बेहद उत्साही समाज है.समाज मैं जागरूकता भी है. जिन्दगी जीने का इनका अंदाज़ निराला है. फक्कड़ी स्वाभाव . साहित्य और संगीत का समाज दीवाना है.ये दीवानगी मैनपुरी के अन्य किसी समाज मैं नज़र नही आती.विनय सोती जिनके पिता फ्रीडम फाइटर हैं.का कहना है की चतुर्वेदी समाज इक गंभीर और अदब पसंद समाज है.समाज की एक खासियत ये भी है की यहाँ छोटा हो या बड़ा हर कोई एक दुसरे को "पायें लाग्न'' बोलकर संबोधित करता है.ये चतुर्वेदी समाज का अपना लोकतंत्र कह सकतें हैं.महिलाएं मैं भी जागरूकता है.हर आयोजनों मैं इनकी उपस्थिति भी समाज की विकास बादी सोच को दर्शाती है.शिव रात्रि और होली का पर्व ये समाज बड़ी ही धूमधाम से मनाता है.दोनों ही पर्वों को मानाने के लिये ये समाज कई दिनों से तेयारी मैं जुट जाता है. होली पर समाज के लोग रंगों की जगह टेसू के फुलू से होली खेलते हैं.कुल मिला कर चतुर्वेदी समाज मैनपुरी की पहचान है जो मैनपुरी के इक रंग को दर्शाता है.......
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