मोका भी है दस्तूर भी है...


सम्पादक की कलम से...
मैनपुरी को मैं बीते २५ सालों से देख रहा हूँ.मैनपुरी एक जिंदादिल लोगों की नगरी हैं.यही वजह है की यहां रहने वालों का जिन्दगी जीने अंदाज़ बेहद निराला है.बेफिक्री यहाँ के लोगों मैं साफ झलकती है.जो सबसे जियादा महत्त्पूर्ण है वो ये की ये लोग मैनपुरी को दिल से मोहब्बत करते हैं.लेकिन बीते कुछ सालों मैं मैनपुरी बदली है.१९९१ के आर्थिक सुधारों का असर इस शहर पर भी पड़ा है.मोल कल्चर अभी शुरू नही हुआ है.पर इस कल्चर के बारे मैं बखूबी जान रहे हैं.बदलाव के सबसे बड़े समर्थक यानि युवा मैनपुरी को नए रंग और रूप मैं देखना चाहते हैं.सामाजिक बदलाव मैं देश की प्रमुख राजनितिक पार्टी समाजवादी पार्टी ने एहम भूमिका अदा की है.सत्ता मैं रह कर पार्टी ने मैनपुरी का काफी विकास कराया.बावजूद मैनपुरी रफ्तार ज़माने की रफ्तार को देखते हुए धीमी ही रही.एजूकेशन की अगर बात करें तो मैनपुरी पीछे है.सरकारी स्कूलों मैं हालात जियादा नाजुक हैं.लेकिन इन सब के बाद भी मैनपुरी का युवा पी सी एस बन रहा है.आई ऐ एस बन कर मैनपुरी का नाम रोशन कर रहा है.लेकिन ये दिल को सुकून नही देता क्या हमारी एजूकेशन मैं सिर्फ़ इनता ही दम हैं की आज़ादी के ६ दशक मैं जिले को सिर्फ़ एक आई ऐ एस और दो पी सी एस ही दे सके .जिले के टीचरों को सोचना होगा.एजूकेशन के महत्त्व को जनता को समझना होगा.जिले क्र राजनेताओं को कुछ ऐसा करना हो जो आने वाली पीडी को सर ऊपर कर के चलना सिखा सके.मोका एक बार फ़िर जनता के हाथ मैं.जिन्दगी बदलने के लिए सिर्फ़ or सिर्फ़ एक बटन की दरकार है.ज़माने की रफ्तार को पकड़ने के लिए सही निर्णय जरुरी है.मोसम भी है...दस्तूर भी है...मोका भी है...फैंसला आपके हाथ मैं है.....


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About VOICE OF MAINPURI

1 टिप्पणियाँ:

  1. Jony
    It is really sad to know that Mainpuri has only and only One IAS and two other PCS....some other officers in various department.It is thinking spot for every teacher and educationist of Mainpuri how to break ice,how can we avoid this stagnation. Untill unless if there is no committment drastic changes can not be expected.Although ur indication is good. I can hope for a better future for Mainpuri in Education.

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