मैनपुरी। होली को दुनिया का सबसे क्रिएटिव पर्व कह सकते हैं.जितनी विभिद्ता इस पर्व मैं नज़र आती है उतनी शायद किसी और मैं नही है.यूँ तो होली के रंग मैं कई रंग है.होली का एक अपना दर्शन है.इसमें खुशी है .....मोहब्बत हैं....... शरारत है.....और तो और इसमें अध्यात्म भी है.यही कारन है की होली के रंगों पर बहुत कुछ लिखा गया.मथुरा से लेकर मुल्तान तक होली के रंग दिखाई देते हैं.मैनपुरी चूँकि ब्रज प्रान्त का ही एक हिस्सा है.इस कारण होली यहाँ का बेहद खास पर्व माना जाता है.मैनपुरी की सीमा से लगे एटा जनपद मैं हज़रत अमीर खुसरो का जन्म हुआ था.होली को नया रंगों देने मैं इनका खास योगदान है.होली को सूफियाना रंगों मैं रगने का काम खुसरो ने ही किया.......
मोहे अपने ही रंग मैं रंग दे
तू तो साहिब मेरा महबूब ऐ इलाही
हमारी चुनरिया पिया की पयरिया वो तो दोनों बसंती रंग दे
जो तो मांगे रंग की रंगाई मोरा जोबन गिरबी रख ले
आन परी दरवार तिहारे
मोरी लाज शर्म सब ले
मोहे अपने ही रंग मैं रंग दे
उनहोंने होली को परमात्मा से जोड़दिया .खुसरो यहाँ अपने मुर्शिद यानि खुदा से कह रहे है की मुझे अपने ही रंग मैं रंग दो..होली की खासियत ये है की दुनिया का ये सबसे सस्ता पर्व है,इस पर्व को मनाने के लिए दिल मैं प्यार होना चाहिए.सब्र और तमन्ना इस पर्व को मानाने के लिया दो एहम चीजें हैं.मैनपुरी मैं होली सभी धर्मों के लोग दिल से मानते हुए देख जा सकतें है.होली पर नजीर अकबराबादी ने भी खूब लिखा है और क्या खूब लिखा है.गोर फरमाएं ...
परियों के रंगों दमकते हों
खूं शीशे जाम छलकते हों
महबूब नशे मैं छकते हों
जब फागन रंग झमकते हों
तब देख बहारें होली की।
एक और दखें -तुम रंग इधर लाओ और हम भी इधर आवें
कर ऐश की तेयारी धुन होली की बर लावें
और रंग की बूंदों की आपस मैं जो ठहराबें
जब खेल चुकें होली फ़िर सिने से लग जावें ।
कर ऐश की तेयारी धुन होली की बर लावें
और रंग की बूंदों की आपस मैं जो ठहराबें
जब खेल चुकें होली फ़िर सिने से लग जावें ।
होली का येही एक रंग नही है.होली के रंग में डूबने के लिए होली के दर्शन को समझना होगा.इसके मायने जानने होंगें...होली हमारी संस्कृति की श्रेष्ठता को दर्शाती है.....होली हमारी पुरातन बोधिक क्षमता के विकसित होने का प्रमाण देती है...कोई शक नही है की साम्प्रद्य्कता के इस माहोल मैं होली ही ऐसा पर्व है जो हर दुरी को कम कर सकती है...हर दीवार को गिराने का दम रखती है.......तो देख बहारें होली की.........
HIRDESH
best of luck dear.
ReplyDeletechetan chaturvedi
Jony
ReplyDeleteAfter a long time i visited ur blog......I just amazed to saw your blog in a new way. Congrats for writting in such a new manner. To read DEKH BAHAREN HOLI KI was really touchy. Within an one article u quoted AMIR KHUSRAU and NAZEER..... DO U KNOW Nazeer Akbarabadi was the writter of DEKH BAHAREN HOLI KI. U really thrown some vibrant colors to all of us through ur blog.............KEEP IT UP I have proud on u.