न्याय की एक नई तनवीर

मैनपुर। एक सूफी कहावत है की "मजलूम के हिस्से में तसल्ली न दिलासा" लेकिन इस ब्लॉग मे जिस सख्स का जिक्र करने जा रहा हूँ.उनका मकसद ही मजलूम को तसल्ली और दीलासा देना है. हम यहाँ बात करेंगे मैनपुरी के जिला जज तनवीर अहमद सिद्दीकी की.....मैनपुरी में जिला जजी करते हुए श्री सिद्दीकी को फकत एक साल से ज्यादा हो गया है.लेकिन न्याय की कुर्सी पर बैठ कर हर दिन उन्होंने नए कीर्तमान रचे है.उनके काम करने का अंदाज़ निराला है.हाल में ही तनवीर ने एक और इतिहास रचा है.निर्धारित लक्ष्य से उन्होंने ६.५ फीसदी अधिक की रफ्तार से मुकद्दमों को निपटा कर पुरे उत्तर प्रदेश मैं एक नज़ीर पेश की है.ये आज़ादी के बाद पहली दफा हुआ है जब मैनपुरी के पीडितों को इतनी तेज़ी से न्याय मिल रहा है.मैंने उनको कई विधिक शिविरों में बोलते हुए देखा है.वे जनता से सीधे तोर पर जुड़ने की कोसिस करते है.खुद्दारी की चमक उनके चेहरे पर साफ़ दिखयी देती है.जब वे अदालत में न्याय की कुर्सी पर बैठते है तो सामने खड़े खतरनाक से ख़तरनाक अपराधी उनके रसूख के आगे जुर्म कुबूल कर लेता है.वे आशिके रसूल भी है.शायद इसीलिए उनके काम में एक तरह की ईमानदारी.पाकीज़गी और इंसानियत साफ़ तोर पर नज़र आती है.उनके मुताबिक वे "गन्दी हबाओं को पसंद नही करते" इसका मतलब ये है की उनको साफगोई पसंद है बनावटी लोग और इंसानियत की खिलाफत करने वालों से उन्हें नफरत है.मैनपुरी की जनता को बे कानून के प्रति जागरूक बनाना चाहते है.इसके लिए उनके निर्देशन में" न्याय चला निर्धन के द्वार" नाम से एक प्रोग्राम पुरे जिले में चलाया जा रहा है.इस प्रोग्राम के मैनपुरी मे बेहद अच्छे रिजल्ट सामने आ रहे है.जिले की ग्रामीण जनता को इससे ज्यादा लाभ मिल रहा है.जिला जज तनवीर अहमद की कोसिसों के चलते अब अदालत मे आने वाले लोग सीधे तोर पर न्याय पा रहे है.तारीख और पेशी के नाम पर जनता को बरगलाने का सिलसिला ख़त्म हो गया है.लोग जागरूक हुए है.तनवीर अहमद की शख्सियत पर अगर एक मुख्तसर नजर डालें तो वे बेहद बोल्ड किस्म के जज है.उनकी नजर में सब समान है,ये यकीन वे जनता को दिलाते है.बकोल तनवीर अहमद"न्याय किसी पैसे वालों की जागीर नही है.कानून के दायरे मे सभी एक है."खनकती आवाज़ में जब वे इस तरह की बात करते है तो पीडितों को ये"जुल्मत में नूर"जैसा लगता है.आख़िर मैं बस उनके लिए ये ही कहा जा सकता है ..."एक ही सफ में खड़े हो गए महमूद-ओ- अयाज़ न कोई बन्दा रहा न कोई बन्दा नवाज़.तेरी सरकार में पहुंचे तो सभी एक हुए।"
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3 टिप्पणियाँ:

  1. बहुत खूब लिखा है इस ब्लॉग पर आने से लगता है की मैनपुरी से बात कर रहा हूँ.तनवीर जी मैनपुरी के लिए इतना कुछ कर रहे इसके लिए उन्हें दिल से बधाई.आप को भी अच्छा लेख लिखने के लिए ढेरों शुबकामनाएं और बधाई.

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  2. hey! lot of Hindi grammar mistakes in the articles.

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  3. Dear
    Hridesh,
    A beautiful article dedicated to really a nice person. Mr. Tanveer Ahemad Siddique is no doubt a man of letter and a genious person. Apart from his designation as a district judge he is a noble man also. Fortunately I have come to konw about him in last few months. I have seen a thrust in him to do something to the needy peoples in the society. I have seen how he helps the poor while going out of the way on personal level. Once I got an opportunity to visit his residence along with my wife, I really surprised how he welcomed us as we might have his near guest or some officer of higher rank. Her wife Taiba is also a really very nice lady. During the talk I came to know she is highly educated and belongs to a royal family. I was really impressed by his thinking and pain for the poor peoples. No, doubt whatever he did for the mainpuri will be rememberd for ever.While being a Mohmaden he have equal faith in all religeon. he don't have any bias for the persons bolongs to any caste or creed. Once we got an honor to invite him in a program organised by the institute. He is really a nice fellow and i wish him and his family all the best in days ahead.

    Again a lot of wishes to Hridesh to keep writing on such topics.


    Thanks

    Rajpal Singh Chauhan
    Executive Director
    Chanakya-acl, Mainpuri

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