मैं मैनपुरी हूँ.....
कभी मुझे अपने उपर गुरुर था।
मेरे शहर के लोग बेहद ज़हीन और इल्म पसंद थे।
लोग एक दुसरे से मोहब्बत से मिलते थे.जबान और बयान मैं अंतर नही था।
दिलो मैं हर एक के लिए अदब था.हर और खुशी थी मासूमों के चेहरे पर खुदा का नूर था।
जेहन मैं इंसानियत थी.मैं रोशन थी.......मैं मैनपुरी थी......
आज मैं उदास हूँ मेरे शहर के लोग परेशान हैं।
सियासी नही है फ़िर भी हेरान हैं।
वक्त थम गया है लोग रुक गए हैं।
जेहन मैं नफरत है.मोहब्बत और खुलूस दिलो से दूर है जबान तल्ख है.
मैं मैनपुरी हूँ .....मुझे मोहब्बत पसंद है
कोई आए समझाए की मैं वो ही हूँ .....जहाँ हर दिल एक है....
बुजुर्गों का सरमाया ही यहाँ के लोगों की असली जागीर है.......
मैं मैनपुरी हूँ.....
कभी मुझे अपने उपर गुरुर था।
मेरे शहर के लोग बेहद ज़हीन और इल्म पसंद थे।
लोग एक दुसरे से मोहब्बत से मिलते थे.जबान और बयान मैं अंतर नही था।
दिलो मैं हर एक के लिए अदब था.हर और खुशी थी मासूमों के चेहरे पर खुदा का नूर था।
जेहन मैं इंसानियत थी.मैं रोशन थी.......मैं मैनपुरी थी......
आज मैं उदास हूँ मेरे शहर के लोग परेशान हैं।
सियासी नही है फ़िर भी हेरान हैं।
वक्त थम गया है लोग रुक गए हैं।
जेहन मैं नफरत है.मोहब्बत और खुलूस दिलो से दूर है जबान तल्ख है.
मैं मैनपुरी हूँ .....मुझे मोहब्बत पसंद है
कोई आए समझाए की मैं वो ही हूँ .....जहाँ हर दिल एक है....
बुजुर्गों का सरमाया ही यहाँ के लोगों की असली जागीर है.......
मैं मैनपुरी हूँ.....
हृदेश सिंह
very good........keep it up.
ReplyDeleteGood composition on Mainpuri
its a very nice .......keep it up
ReplyDeletebahut hi khubsurat andaz main apne mainpuri ko byan kiya hai..bahut accha laga es kavita ko padh kar..
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