बिना रियाज़ के राजनीती मैं भी सुर ठीक से नही लगते

मैनपुरीमैनपुरी को भगवा रंग मैं रगने के लिया बेताब भारतीय जनता पार्टी ने इस बार भजन सिंगर तृप्ति शाक्य को मैनपुरी लोकसभा सीट से उतारा है.संगीत से ग्रेजुयेसन करने वाली तृप्ति के लिए राजनीती का ये राग नया है.बावजूद वे पुरे उत्साह से चुनाव जितने के लिए जनता के बीच जा रहीं है.वे युवा है.....महिला हैं....मैनपुरी की जनता मैं उनको लेकर आकर्षण है.सभी प्रत्यासिओं से चुनाव प्रचार मैं तृप्ति आगे हैं. जनसभाओं की बात करे तो अभी तक मैनपुरी लोकसभा के अलग अलग इलाकों मैं तृप्ति एक हज़ार के लगभग जनसभाएं कर चुकीं है.ये तृप्ति के जुझारू पन को दर्शाती है.तृप्ति के लिए मैनपुरी और राजनीती दोनों ही नई हैं उन्के सामने मुलायम सिंह और विनय शाक्य जैसे राजनीती के धुरंदर हैं.सपा मुखिया के राजनेतिक करियर जितनी तृप्ति की उम्र है.बावजूद उनके मोराल मैं कहीं कोई कमी नही है.उनके भासनो मैं तेवरों की कमी है.वे एक कलाकार हैं शायद इसीलिए उनके भासनो मैं एक प्रकार की कोमलता नजर आती है.भासनो को भी तृप्ति तरन्नुम मैं पड़ती हैं.लेकिन वे जहाँ भी जाती हैं लोग उनकी इस शेली को लोग पसंद कर रहे है.तृप्ति इटावा की एक छुटे से गावं मैं पैदा हुईं.लेकिन उनकी पुरी परवरिस इलाहाबाद मैं हुई है.उनके पिता कृषि विज्ञान के जानेमाने प्रोफेसर हैं.उनके साथ तृप्ति ने यूरोप देशों की कई यात्रायें भी की है,भजन गायकी मैं सफल तृप्ति राजनीती मैं सफल हो पायेगी ये तो समय ही बताएगा.लेकिन तृप्ति राजनीती को समझने की पुरी कोसिस कर रही हैं.तृप्ति जितने के बाद मैनपुरी मैं एक महिला डिग्री कॉलेज खोलना चाहतीं हैं.महिलाओं के लिए वे मैनपुरी मैं कुटीर उधोयोग लगना चाहतीं है.युवा और महिला वर्ग के लिए वे काफ़ी कुछ करना चाहतीं है.इसी आधार पर वे वोट मांग रहीं है.राजनीती मैं आरही गिरावट को लेकर वे चिंतित है और इसका निराकरण राजनेता की तरह न करके एक कलाकार की तरह करना चाहतीं हैं.ये उनका अपना सोचने का तरीका है.लेकिन अभी तृप्ति को सुरों के साथ राजनीती की भी बन्दिसें और राग सिखने होंगे जिसके लिए उन्हें अभी और रियाज़ करने की जरुरत है.क्योंकि संगीत की ही तरह बिना रियाज़ के राजनीती मैं भी सुर ठीक से नही लगते।
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