प्रथम तो विद्युत आपूर्ति में ही कटौती होती है और यदि कभी बिजली आ भी जाती है तो वोल्टेज का उतार चढ़ाव उपभोक्ताओं की नींद हराम किये हुए हैं। स्थिति यह है कि जब बिजली आती है तब उपभोक्ताओं को यह गौर रखना पड़ता है कि आखिर वोल्टेज हैं कितने? क्योंकि कभी 300 से ऊपर तो कभी 100 से भी नीचे की स्थिति उपभोक्ताओं के लिए कष्टकारक हो रही है। इन दिनों आलम यह है कि तेज बिजली आने से किसी का पंखा जल जाता है तो किसी का सीएफ एल बल्ब फ्यूज हो जाता है। किसी की कूलर की पम्प जल जाती है किसी की प्रेस खराब हो जाती है तो किसी के इंवर्टर के मोस्टफेट जल जाते हैं।
अधिक वोल्टेज के चलते कोई पंखा चलाने की स्थिति में ही नहीं हैं यदि चलाया तो जलने के आसार प्रबल हो जाते हैं इस अव्यवस्था के चलते आलम यह है कि पंखा या कूलर चलाकर नहीं सो सकते।
कुछ लोगों ने एक से अधिक फेस की व्यवस्था कर रखी है लेकिन वे भी परेशान है क्योंकि किसी में तो बहुत अधिक वोल्टेज हैं तो किसी में 100 से भी नीचे हैं ऐसे में विद्युत उपकरण चलाये नहीं जा सकते। कठिनाई के इस दौर में वोल्टेज का कम अधिक होना जनता के लिए सर दर्द बना हुआ है।
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