बीएसए कार्यालय का बाबू रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ा गया


नगर के मोहल्ला सौतियाना स्थित आरसी मैमोरियल संस्कार विद्यापीठ पिछले लंबे अरसे से संचालित हो रहा है। विद्यालय के पास पांचवीं कक्षा तक की अस्थायी मान्यता भी है। मान्यता को स्थायी कराने के लिये वर्ष 2007 में संस्था के उप प्रबंधक राहुल चतुर्वेदी द्वारा बीएसए कार्यालय में आवेदन किया गया था लेकिन लंबे अरसे तक उन्हें स्थायी मान्यता प्रदान नहीं की गयी जबकि उनके बाद आवेदन करने वालों को स्थायी मान्यता दे दी गयी। बाबू विशुन दयाल जो कि मान्यता प्रदान करने वाली सीट का इंजार्च है ने भी यही बात राहुल चतुर्वेदी से कही और कहा कि बहुत दिनों से दौड़ रहे हो और बहुत दिनों तक दौड़ते भी रहोगे लेकिन मान्यता बिना पैसे के नहीं मिलेगी। अधिकारी से लेकर बाबू तक एक ही प्रकार की बात सुनकर वह दंग रह गये और घटना की सारी जानकारी एसपी सतर्कता अधिष्ठान आगरा को दी। आगरा द्वारा इस संबंध में सारी सूचना अपने लखनऊ कार्यालय को अवगत करायी गयी। लखनऊ से अनुमति मिलने के बाद सतर्कता अधिष्ठान आगरा ने जिलाधिकारी मैनपुरी से आरोपियों को रंगे हाथ दबोचने की अनुमति मांगी। अनुमति मिलने के बाद दबोचने के लिये जाल बुना गया।
योजना के तहत राहुल चतुर्वेदी बीएसए के पास पहुंचे और कहा कि वह वाकई दौड़ते-दौड़ते थक चुके हैं अब ले देकर विद्यालय की मान्यता करवा दीजिये। दोनों के बीच मोल भाव भी हुआ और सौदा 10 हजार रुपये में तय कर दिया गया। रिश्वत के रुपये देने की बात तय हुयी। चतुर्वेदी द्वारा दी गयी जानकारी के आधार पर सतर्कता अधिष्ठान आगरा के सीओ हरिदत्त गौतम, इंस्पेक्टर डीके पुनिया, इंस्पेक्टर अभय सिंह, इंस्पेक्टर ओपीएस राना, इंस्पेक्टर एसएन मिश्रा, इंस्पेक्टर एसएन यादव, कांस्टेबिल हरी सिंह, कांस्टेबिल अनिल कुमार सोमवार को प्रात: ही मैनपुरी आ गये तथा आरोपी को दबोचने के लिये जिलाधिकारी से अनुमति मांगने के बाद जिलाधिकारी से कुछ सरकारी गवाहों की मांग की जिन्हें घटना के समय मौजूद रहकर घटना का चश्मदीद गवाह बनना था। जिलाधिकारी द्वारा सतर्कता अधिष्ठान टीम को सरकारी गवाह भी मुहैया कराये गये। करीब 3 बजे सभी अधिकारी बीएसए कार्यालय परिसर में पहुंचे लेकिन बीएसए के बाबू को इस बात की जानकारी कानों कान खबर तक नहीं थी। वह राहुल चतुर्वेदी का इंतजार कर रहा था। इसी बीच राहुल चतुर्वेदी भी बीएसए कार्यालय में पहुंच गये राहुल चतुर्वेदी को देखते ही लिपिक ने कहा कि ज्यादा टाइम खराब मत करो रुपये दो और अपने घर जाओ। जिस पर राहुल चतुर्वेदी ने अपनी जेब से 10 हजार रुपये बाबू को थमा दिये। यहां सतर्कता अधिष्ठान के लोग पहले से ही मौजूद थे। जिन्होंने लिपिक को रिश्वत लेते रंगे हाथ दबोच लिया और कोतवाली ले आये। नोटों पर टीम द्वारा पहले ही फिनाफ्थलीन का पाउडर लगाया जा चुका था। बाबू के हाथ में पहुंचते पाउडर बाबू के हाथ में भी लग गया। टीम द्वारा बाबू के हाथों को सोडियम कार्बोनेट के घोल में घुलाया गया तो हाथों पर नोटों के साथ लगा पाउडर का रंग छूटने लगा।

वहीं रिश्वती बाबू भी हैरान था कि अचानक यह क्या हो गया। कैसे वह सतर्कता अधिष्ठान टीम के हत्थे चढ़ गया। रंगे हाथ दबोचे जाने के बाद बाबू के चेहरे की हवाइयां उड़ रही थी।


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