भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण [ट्राई] ने शुक्रवार को इस बारे में साफ निर्देश दूरसंचार कंपनियों को दे दिए। इस निर्देश के मुताबिक नंबर पोर्टबिलिटी की सुविधा लेने वाले ग्राहकों को पुराने नंबर जारी रखने के लिए 19 रुपये का भुगतान करना होगा।
महानगरों सहित 'ए' श्रेणी के शहरों में नंबर पोर्टबिलिटी की सुविधा 31 दिसंबर, 2009 से लागू की जाएगी। देश के अन्य हिस्सों में यह मार्च, 2010 से लागू की जानी है।
इस बारे में ट्राई की तरफ से जारी प्रावधानों के मुताबिक यह शुल्क ग्राहकों को नई सेवा प्रदाता कंपनी को देना होगा। शुल्क लगाने की मुख्य वजह यह है कि पुराने नंबर की जांच- पड़ताल नई कंपनी को अपने स्तर पर करनी होगा। इसमें वह चार दिनों का वक्त लेगी। अगर कंपनियां चाहें तो वे इस शुल्क को माफ भी कर सकती हैं।
माना जा रहा है कि मोबाइल सेवा में उतरने वाली नई कंपनियों ने नंबर पोर्टबिलिटी का फायदा उठाने की पूरी तैयारी कर ली है। चूंकि जिन शहरों में पहले चरण में यह सुविधा शुरू की जा रही है वहां पहले से ही काफी जबरदस्त प्रतिस्पद्र्धा चल रही है। पुरानी कंपनियों ने बाजार पर काफी हद तक कब्जा जमा लिया है। ऐसे में जिन कंपनियों को नया लाइसेंस मिला है वे मौजूदा कंपनियों के बाजार पर कब्जा जमाने के लिए इस सेवा का फायदा उठा सकती हैं। यह भी माना जा रहा है कि मौजूदा सेवा प्रदाता कंपनियां भी उन ग्राहकों के बाहर जाने से खुश होंगी जिनसे कोई खास कारोबार नहीं मिलता है। सनद रहे कि हाल ही में किये गये एक सर्वेक्षण से पता चलता है कि 45 फीसदी उपभोक्ता मोबाइल फोन कंपनियों की सेवाओं से असंतुष्ट हैं। इससे यह भी पता चला है कि प्री पेड ग्राहक और कम इस्तेमाल करने वाले ग्राहक अपनी सेवा प्रदाता कंपनी को छोड़ने में ज्यादा आनाकानी नहीं करेंगे।
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