...शाबास उपेन्द्र कुमार

उपेन्द्र कुमार अग्रवाल.....आज ये नाम मैनपुरी की जनता के लिए बेहद जाना और पहचाना नाम है.ये बात दीगर है कि इस युवा आई पी एस अफसर को मैनपुरी का कप्तान बने महज 40 दिन ही हुए हैं.पुलिस महकमे में बदनाम होना आसान है लेकिन नाम कमाना उतना ही मुश्किल है...लेकिन इस युवा पुलिस अफसर को देख कर लगता है जैसे ये नाम कमाने के लिए ही इस महकमे आया है.इन चालीस दिनों में मैनपुरी की जनता उपेन्द्र की तारीफ करती नहीं थकती है.बेहद शांत और गंभीर रहने वाले इस अफसर का काम करने का तरीका बेहद जुदा है.सन 2005 में भारतीय पुलिस सेवा में आये उपेन्द्र पुलिस की बारीकियों को बाखूबी समझते है.यही कारण है कि मैनपुरी में वे अभी तक सफल है.मैनपुरी में पुलिस का इस्तेमाल आम बात है.चूँकि पारम्परिक संगठित अपराधों को छोड़ दे तो आधुनिक संगठित अपराध जिले में कम हैं.जुआं.सट्टा.शराब और जमीनी रंजिश ही अपराधों की मुख्य वजह है.उनके आने से इस तरेह के अपराधों में रोक लगी है.सुबह समय से ऑफिस में जनता की समस्याओं को सुनना और उनको दूर करना उनकी प्राथमिकताओं में शामिल है.उनकी सबसे अच्छी बात ये है कि पीड़ित उनके समने खुल के अपनी बात रख सकता है.दलाल किस्म के लोगों की मौजूदगी दफ्तर में बर्दास्त नहीं है.डिसीजन लेने में वे सिर्फ खुद की मदद लेना पसंद करते है.हालही में बड़े पैमाने पर किये तबादलों की जिले भर में खासी चर्चा रही.इन तब्दलों में उनके मर्जी साफ़ नजर आई है.लम्बे समय से एक ही जगह पर काबिज अफसरों को भी इस फेरबदल की उम्मीद नहीं थी.यहीं से उन्होंने बताना शुरू कर दिया की वे कप्तान दूजे किस्म के है.

30 अगस्त को युवा सिपाही की सडक हादसे में दर्दनाक मौत हो गयी.ये युवा सिपाही पुलिस का बेहद काबिल कर्मचारी था साथ ही एक अच्छा स्पोर्ट्समेन भी था.इस सिपाही की मौत से जिले की पुलिस में शोक का था.मोर्चरी से जब मृतक सिपाही की शवयात्रा निकली तो कान्धा देने वालों में सबसे पहले एसएसपी उपेन्द्र कुमार ही थे.ये नज़ारा मैनपुरी की जनता ने पहली बार देखा.जब जिले का कप्तान साथी कर्मचारी को कांधा दे रहा है. इस बात से पता चलता है कि पुलिस की सख्त नोकरी में भी उपेन्द्र कुमार अपने पास एक नाज़ुक दिल रखते है जो साथी कर्मचारी की मौत पर रो पडता है.देश का सबसे बड़ा स्टील प्लांट बोकारो में है और उपेन्द्र कुमार का ताल्लुक इस जगह से है.चार्टेड एकाउंटटेंट उपेन्द्र अपराध को रोकने के लिए नए प्रयोग करने से भी नहीं चुकते है.युवा होने की जिम्मेदारी भी खूब जानते है,मैनपुरी के युवाओं को नई राह दिखने के लिए वे कालेजों में जाने की योजना बना रहे हैं.गाँधी जी के सिद्दांतों पर चलते हुए उपेन्द्र भी अपराधी को नहीं अपराध को खत्म करना चाहते है.ये जरुरी भी है.अपने कर्मचारिओं को हिदायत भी देते है की किसी निर्दोष को पुलिस गलत मामले में न फंसाए.उपेन्द्र कुमार की सबसे बड़ी खूबी ये भी है कि काबिल होने के साथ इमानदार भी है.शायद इसीलिए हर काम को आसानी से अंजाम तक ले जाते है.नए अफसरों के लिए मैनपुरी किसी आकादमी से कम नहीं है.कारण यहाँ सिखने और करने के लिए बहुत कुछ है.ये सच है कि उपेन्द्र कुमार के आने से थानों में एक बार फिर पीड़ितों की समस्याओं को सुना जा रहा है.दलित मजलूमों और औरतों की आवाज़ सुनी जा रही है.मैनपुरी की जनता में पुलिस को लेकर विश्वास बड़ा है.किसी आईपीएस अफसर के लिए आज के समय में इससे बड़ी उपलब्धि क्या हो सकती है....शाबास उपेन्द्र कुमार।

***हृदेश सिंह***

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6 टिप्पणियाँ:

  1. बहुत बढ़िया लिखा है हिर्देश आपने !

    मैनपुरी जनपद को ऐसे ही युवा अधिकारियो की बहुत जरुरत है जो यहाँ के युवा वर्ग को अपने जीवन में कुछ करने की शिक्षा दे सकें !

    एक बार फिर आपको इस उम्दा पोस्ट के बहुत बहुत धन्यवाद और बधाइयाँ !

    उपेन्द्र कुमार अग्रवाल जी को भी बहुत बहुत शुभकामनाएं !

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  2. aise hi ips desh ko sudhar skte hai...hirdesh ji honhaar upendr se ru b ru karane ke liye shukriya.mayank

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  3. ek acchi pahal..jahan un logo se ru-b-ru hone ka mauka mil raha hai jo vakai samman ke haqdar hai..aisi hi post prerna deti hain!

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  4. ek aur achchhi post k liye dhanyavaad. Jaan k achchha laga..

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  5. it is really pleasure to know thanks.......

    piyush

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