मैनपुरी को बरबाद होने से रोक सकता है प्रशासन

मैनपुरी को मैंने बेहद नजदीक से महसूस किया है....इसलिए कुछ गलत दिखता है तो दिल को दर्द होता है....हर रोज़ मैं अपने ऑफिस के लिए घर से निकलता हूँ अक्सर कर राधा राम रोड और स्टेशन रोड जाम लगा पता हूँ....जाम लगने की कोई जायज़ वजह आज तक मुझे नहीं दिखा दी.जाम लगने का कारण सिर्फ स्टेशन रोड पर बना अवेध ट्रांसपोर्ट नगर है।जिले के तत्कालीन जिलाधिकारी रोहित नंदन ने सबसे पहले इस समस्या को समझा बल्कि इस समस्या का हल भी किया.रोहित नंदन ने बाई पास रोड के नजदीक ट्रांसपोर्ट नगर बसाया.लेकिन उनके जाते ही ट्रांसपोर्ट नगर भी उजड़ गया.शहर की जनसख्याँ बीते पांच सालों में ज्यामितीय विधि से बढ़ी है....शहर पर जनसख्याँ का दबाव लगातार बढ़ रहा है...वाहनों की सख्यां में हर 5 फीसदी की बढ़ोत्तरी हो रही है...इस बढ़ते दबाव का नतीजा है शहर में अक्सर जाम की स्थिति बनी रहती है.आने वाले दिनों में अगर जाम शहर को निगल जाएँ तो इस आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है.प्रदेश के लगभग हर छोटे जिले का हाल एक जैसा ही है.अतिक्रमण और जाम दोनों समस्या छोटे जिलों को बरबाद कर रहीं है.इन समस्याओं को दूर करने में प्रशासनिक इकाई अहम भूमिका निभा सकती है.प्रशासनिक कुशलता से ही इन समस्याओं से निपटा जा सकता है.हाल में जिस ढंग से अतिक्रमण को लेकर अभियान चलाया गया काफी हद तक सफल रहा. मैनपुरी में जाम से निपटने के लिए प्रशासन को रणनीति बना कर काम करने की जरुरत है.राधारमन रोड पर जाम से स्कूली बच्चों को सबसे ज्यादा दिक्कत होती है.गर्मीं में बसों में यात्रा करने वालों का तो हाल बुरा हो जाता है.ऐसा नहीं है की सडक पर अवेध ढंग से ट्रक और अन्य वाहनों को खड़ा करने वाले इन ट्रांसपोटरों दिखाई नहीं देता है....उनको सब दिखाई देता है...लेकिन बेशर्मी की चादर लपेट कर बैठे इन लोगों को अहसास नहीं होता है....अहसास कराने के लिए प्रशासन को कमर कसनी ही होगी.जनता की दिक्कत को दूर प्रशासन ही कर सकता है.इस लिए समय आ गया है की प्रशासन को हल्के में लेने वालों को सबक सिखाया जाए.ताकि मैनपुरी शहर को बरबाद होने से बचाया जा सके.

हृदेश सिंह
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1 टिप्पणियाँ:

  1. बेहद उम्दा पोस्ट के लिए बहुत बहुत बधाइयाँ और शुभकामनाएं!

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