१५ लोकसभा के नतीजों पर टिकी मैनपुरी की किस्मत

मैनपुरी। आम चुनावों के मतदान के बाद अब सभी की नज़रें नतीजों पर है.१५ लोक सभा मैं मैनपुरी फिर सुर्खियों मैं है.देश के प्रमुख समाजवादी नेता और समाजवादी पार्टी के मुखिया खुद मैनपुरी से कीस्मत आज़मा रहे है. मुलायम सिंह के मैदान मैं होने से मैनपुरी प्रदेश की हॉट सीटों मैं शामिल है.16 मई को नतीजे आने है लेकिन.जिले मैं अटकलों का बाज़ार गर्म है . देखा जाये तो सपा मुखिया को इस बार खुद के चुनाव मैं कुछ ज्यदा ही मेहनत करनी पड़ी है.वोट प्रतिशत के काम होने से सबसे ज्यादा नुकसान समाजवादी पार्टी को होगा इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है.ये बात अलग है की मैनपुरी में साईकिल को पंचर करना विरोधी दलों के लिए इतना आसन नहीं है.जहां और दलों के प्रत्यासी चुनाव जीतने के लिए ही मतदातों से गुहार लगाते रहे वहीँ मुलायम सिंह सिर्फ और सिर्फ जनता से भारी बहुमत से जीतने की अपील करते रहे हैं .मुलायम सिंह के इस आत्मविश्वास के पीछे कई फेक्टर हैं.पहले तो मैनपुरी लोकसभा पर यादव मतदातों की संख्या ३ लाख से अधिक है.बाबजूद इसके मुलायम अपनी जीत में सभी कोमों का वोट हासिल करना चाहते हैं.लेकिन इस बार के नतीजे सपा मुखिया की चिंता बढ़ाने वाले आसकते हैं. सही है की जनता मुलायमसिंह से खफा नहीं है .लेकिन उनके स्थानीय नेताओं से जनता खुश भी नहीं दिखी. स्थानीय नेताओं में खुलकर गुटबाजी चली.देखा जाये तो मुलायम सिंह के पास युवा समाजवादी नेताओं की कमी होगयी है.९० के दशक में बिखर चुके समाजवादिओं को इकजुट करने वाले मुलायम सिंह के पास नए समाजवादिओं की कमी है.पार्टी में नेता तो है लेकिन ये कितने समाजवादी हैं ? इस पर खुद पार्टी मुखिया और पार्टी में शामिल पुराने समाजवादी नेताओं को मिलकर गंभीरता से सोचना होगा.इस बार के चुनाव में सबसे ज्यादा फायदा बीएसपी को होने जा रहा है.इस बार बीएसपी के वोट ऑफ़ परसेंट में बढोत्तरी हों सकती है.शहरी और ग्रामीण मतदाताओं की बात करें तो इस बार गावों में लोगो ने अधिक मतदान किया.२००४ के मुकाबले ४ फीसदी काम मतदान हुआ.इस लिए राजनेतिक दलों की चिंता बढ़ना लाज़मी है.इस बार किसानो और महिलओं ने मतदान में अधिक रूचि दिखयी है.बावजूद जनता में अभी भी राजनेतिक जागरूकता की कमी बरकार है.जिस कारण मैनपुरी में एक ''राजनेतिक शुन्य'' पैदा हों गया जो फ़िलहाल १५ लोकसभा के नतीजों से भी दूर होता नहीं दिख रहा है.
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