''दबंग'' फिल्म का म्यूजिक बाज़ार में आ चुका है....इस फिल्म के कई गाने लोगों की जुबान पर हैं। फिल्म में कुल पांच गाने हैं। गीत जलीस शेरवानी, फैज़ अनवर और ललित पंडित की कलम से निकले हैं और सुर ''साजिद-वाजिद'' ने पिरोये हैं। पहला गाना ''तेरे मस्त मस्त दो नैन' राहत फ़तेह अली खान की सुरीली आवाज़ में है। इस पुरे एल्बम का यह एक मात्र गाना है जो कई बार सुना जा सकता है...इस गाने को सूफी रंग दिया गया है। फैज़ अनवर ने इस गाने को लिखा भी खूबसूरत है और राहत ने इस गाने को गाया भी शिद्दत से है। रूहानी सुकून और दिमाग को रोशन करने वाले इस गीत के बोल और सुर दोनों ही लाजवाब बन पड़े हैं। गाने के बोल के मुताबिक राहत ने शानदार गायकी पेश की है...फिलहाल ये गाना लोगों की जुबान से जल्द उतरता नहीं दिख रहा है। एल्बम का बेहद अलग मिजाज़ का दूसरा गाना ''मुन्नी बदनाम हुई'' की तो धूम मच चुकी है। इस गाने को न केवल यूपी और बिहार में ज़बरदस्त लोकप्रियता हासिल हुई है बल्कि इसे लिखा और कम्पोज इस तरह किया गया है कि डिस्को और पब में भी यह नंबर वन है। हिंदी भाषी खास तौर पर भोजपुरी बेल्ट में इस गाने को लोग पसंद कर रहे हैं। गीत में संगीत को देसी टच दिया गया है। कई जगह आप को लगेगा ये ठेठ भोजपुरी स्टायल का गीत है..गाने को ''ममता'' और ''ऐश्वारिया'' ने पूरे मन से गया है। तीसरा गाना इस अलबम का है 'चोरी किया रे जिया रे'..सोनू निगम और श्रेया घोषाल ने इस गीत को गाया है। पहले और दुसरे के मुकाबले ये गाना कम असर रखता है। गाने के बोल में दम है लेकिन साजिद-वाजिद के सुर थोड़े से मद्धम पड़ जाते है। इस अल्बम की खासियत है कि इसमें हर मूड के गाने शामिल किये गए है। आज के श्रोताओं का पूरा ध्यान रखेने की कोशिश की गई है। चौथा गाना इस फिल्म का टाइटल गीत है. उड़ उड़.दबंग...ये गीत सुखविंदर सिंह और वाजिद ने गाया है। सुखविंदर ने मांग के मुताबिक इस गाने को गया है। इस तरह के गाने वही गा सकते है, एक बार फिर ये सुखविंदर ने साबित कर दिया है। ''ओमकारा'' और ''दस'' फिल्म के टाइटल गीत के तरह ही ये गाना है जिसे दोनों गायकों ने बखूबी गया है। इस अल्बम का अंतिम और पांचवां गाना क़व्वाली तर्ज़ पर पेश किया गया है। गाने के बोल खासे चलताऊ है और समझने में आसान भी है। पहला अन्तरा खुबसूरत बन गया है. इसलिए कुछ समय के लिए ये गीत गुनगुनाया जा सकता है. इस पुरे अलबम की खासियत है कि गाने के बोल कुछ गानों में लाज़बाव है। "जलीस शेरवानी" की कलम से निकले गीत असर रखते है.पहला और आखिरी गीत ''त्रिवेणी छंद विधा'' की तकनीक से लिखा गया है. लफ्जों का सुंदर इस्तेमाल भी है इन गीतों में. संगीत की बात करें, तो मामूली खामियों आलावा दबंग की दबंगई का असर कुछ समय के लिए संगीत प्रेमियों पर दिखाई दे सकता है।
Subscribe to:
Post Comments
(
Atom
)
बढ़िया समीक्षा !
ReplyDeleteGOOD
ReplyDeleteI read review of new music DABAG and ANJAANA written by u ... both the articles r really really worth praising. Congrats for new inning...my good wishes r with u....!